Religious Mantra, Festivals, Vrat katha, Poojan Vidhi
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मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी कहते हैं। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने का विधान है। इस बार काल भैरवाष्टमी का पर्व 25 नवंबर, सोमवार को है। धर्म ग्रंथों के अनुसार काल भैरव भगवान शिव के ही अवतार हैं।
तंत्र शास्त्र के अनुसार यदि काल भैरवाष्टमी के दिन भैरवदेव को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है। चूंकि भैरवदेव भगवान शिव के अवतार हैं इसलिए इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भी उपाय किए जा सकते हैं।काल भैरवाष्टमी के एक दिन पहले (24 नवंबर, रविवार) के दिन सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें। इसके बाद काल भैरवाष्टमी के दिन नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर भगवान कालभैरव का पूजन करें और चनों को सरसौं के तेल में छौंककर इनका भोग लगाएं और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें।
इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से ऊतारकर किसी सुनसान स्थान पर रख आएं। इस टोटके को करने से भगवान कालभैरव अवश्य प्रसन्न होंगे।काल भैरवाष्टमी के दिन सुबह भगवान काल भैरव की उपासना करें और शाम के समय कड़वे तेल का दीपक लगाकर समस्याओं से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।काल भैरवाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने काल भैरव की तस्वीर स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जप करें तथा भैरव महाराज से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें।काल भैरवाष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊँ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं साथ ही एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।
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