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करवा चौथ : क्या आपकी बेटी के विवाह में भी है बाधा

Religious Mantra, Festivals, Vrat katha, Poojan Vidhi
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karva chauth

किसी भी अविवाहित कन्या की इच्छा होती है कि उसका विवाह किसी सुयोग्य वर के साथ ही हो। इसी बात की चिंता अधिकांश कुंवारी कन्याओं को सदैव सताती रहती है। इसके लिए कई कन्याएं हमेशा भगवान से प्रार्थना भी करती हैं। हिन्दी पंचांग के अनुसार मंगलवार यानी 22 अक्टूबर 2013 काफी महत्वपूर्ण दिन है। शास्त्रों में बताया गया है कि इस खास दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो कुंवारी कन्याओं की सुयोग्य वर संबंधी परेशानियां दूर हो सकती हैं। इसके साथ ही जो स्त्रियां विवाहित हैं उनके लिए यह दिन वैवाहिक जीवन को सुखद और समृद्ध बनाने वाला है।


karva chauth22 अक्टूबर को करवा चौथ
इस मंगलवार, 22 अक्टूबर 2013 को करवा चौथ है और यह व्रत कार्तिक कृष्ण की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को किया जाता है। सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए भी करवा चौथ का व्रत सबसे अच्छा उपाय है। सभी सुहागन स्त्रियां अपने पति की लंबी उम्र और स्वस्थ जीवन के लिए कामना करती हैं, वहीं कुंवारी लड़कियां भी सुयोग्य वर प्राप्ति के लिए यह व्रत कर सकती हैं।


karva chauth before marriage

विवाह में आ रही बाधाएं होती हैं दूर
जिन कन्याओं के विवाह में बाधाएं आ रही हैं, अच्छा वर प्राप्त नहीं हो रहा हो तो वे कन्याएं भी करवा चौथ का व्रत कर सकती हैं। इस दिन निराहार रहकर व्रत करके चद्रंमा का दर्शन करें और शिव-पार्वती का पूजन करें। इस प्रकार व्रत और पूजन करने के बाद निश्चित रूप से शुभ लक्षणों वाला वर मिलने के योग बनते हैं। यह व्रत नियमित रूप से हर साल किया जाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत से कन्याओं की सुयोग्य वर से संबंधित चिंताएं समाप्त हो जाती है।


करवा चौथ की प्राचीन परंपरा…
करवा चौथ पर पति के लिए पूरे दिन निराहार रहकर व्रत किया जाता है, यह परंपरा अति प्राचीन काल से ही चली आ रही है। करवा चौथ पति एवं पत्नी दोनों के लिए नवप्रणय, प्रेम, त्याग की चेतना लेकर आता हैं। इस दिन चंद्रमा का पूजन होता हैं। इसके अलावा सभी स्त्रियों को शिव-पार्वती एवं गणेश-कार्तिकेय का पूजन भी करना चाहिए। इससे अंखड़ सौभाग्य एवं संतान प्राप्ति होती हैं।


द्रोपदी ने भी किया था करवा चौथ का व्रत
शास्त्रों के अनुसार शिव-पार्वती का दांपत्य एक आदर्श दांपत्य माना गया है, इसलिए उनका पूजन भी किया जाता है। जिसप्रकार कठिन तपस्या करके पार्वतीजी ने शिवजी को पति के रूप में पाया था, वैसा ही सौभाग्य शिव-पार्वती उनके भक्तों को भी प्रदान करते हैं। महाभारत काल में द्रौपदी ने भी अर्जुन की सुरक्षा के लिए इस व्रत को भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर किया था एवं अर्जुन को वापस सुरक्षित पाया था। इस पूजन में एक कथा भी श्रवण की जाती है।


karva chauth katha in hindi
करवा चौथ की कथा
इंद्रप्रस्थ नगर में वेद शर्मा नाम के ब्राह्मण के सात पुत्र थे एवं एक पुत्री थी। जिसका नाम वीरावती था। सभी भाइयों का बहन पर अपार स्नेह था। सुदर्शन नामक युवक के साथ उनकी बहन का विवाह हुआ। एक बार वीरावती ने भी करवा चौथ का व्रत किया तथा दिनभर निर्जल एवं निराहार रहने से वह बहुत ज्यादा व्याकुल हो गई। उसी समय उसके भाई उससे मिलने आए। अपनी बहन की यह हालत उनसे देखी नहीं गई। उन्होंने कृत्रिम चंद्रमा दिखाकर अपनी बहन का व्रत खुलवा दिया। ऐसा करने से उसके पति को अपार कष्ट के साथ बीमारी का सामना कर पड़ा एवं दु:खी हुए।एक बार इंद्र की पत्नी इंद्राणी पृथ्वी पर करवा चौथ करने आई। वीरावती ने उससे अपने पति के कल्याण का मार्ग पूछा, तब उसने बताया कि तुमने पहले अपने करवा चौथ व्रत को खंडित किया था, उसी का यह परिणाम है। तब वीरावती ने पूर्ण विधि-विधान से करवा चौथ का व्रत किया एवं अपने पति को रोगादि एवं दरिद्रता से मुक्त किया, तभी से यह व्रत प्रचलन में आया।
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