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चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सूर्य उदय 6.10 बजे के साथ प्रारंभ होगी। श्रद्धालु इसके उपरांत स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहन साख बीजें। यह मुहुर्त दोपहर तक ही रहेगा। संस्कृत व्याख्यान तिलक राज शास्त्री ने साख बीजने की विधि के बारे में कहा कि किसी शुद्ध मिट्टी अथवा धातु के खुले मुंह वाले पात्र में शुद्ध मिट्टी अथवा रेत मिश्रित जौ से साख बीजें। व्रती-देवी भागवती की प्रतिमा साख के पास रखें और घी की अखंड ज्योति जलाएं। नवरात्र के दौरान तामसिक पदार्थो का सेवन आदि न करें।
शास्त्री ने कहा कि मां दुर्गा की उपासना से सुख-संपत्ति और ज्ञान ही नहीं कई शक्तियां प्राप्त होती है जिससे जीवन की चुनौतियों का सामना करने की हिम्मत मिलती है। वैसे तो हर किसी में आत्मशक्ति होती है, लेकिन मां दुर्गा यह शक्ति और बढ़ा देती है। इसलिए प्रात: और सांयकाल शुद्ध सात्विक मन से मां भगवती के नवार्ण मंत्र का जाप करें और आरती करें।
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