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हिमालय की गोद में ऐसी देवी शक्तियां हैं जो जो लोगों की मनोकामनाएं एक पुकार पर ही कर देती हैं। जम्मू तवी के पुल के पास में बावे वाली देवी मां का मंदिर ऐसा कहते हैं कि भारत पाकिस्तान की लड़ाई के दौरान पाकिस्तान ने बम गिराने चाहे थे लेकिन पाकिस्तान के पायलटों को वहां लाल वस्त्रों में एक कन्या के अलावा कुछ भी दिखाई नहीं दिया था और वे जैट वापस लेकर पाकिस्तान लौट गए थे। एक और मान्यता के मुताबिक देवी मां की मूर्ति को हाथी भी वहां से हटा नहीं पाए थे। और क्या क्या है इस देवी के पास शक्तियां ?
तविषी नदी के पूर्वी तट पर जम्मू से तकरीबन दो किलोमीटर की दूरी पर बावे इलाके में स्थित होने के कारण इसे बावे वाली माता कहा जाता है।
यह मंदिर ऐतिहासिक बाहु किले के भीतर स्थित है। जम्मू राज्य के संस्थापक रहे राजा जम्बूलोचन के बड़े भाई बाहुलोचन के नाम पर इस किले का नाम है।
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मान्यता है कि जम्मू राज्य को अपनी राजधानी बनाने के बाद जब राजा ने देवी की मूर्ति का मुंह अपने नए महल मुबारक मंडी की ओर करना चाहा, तो वे लगातार नाकाम रहे। अंत में उन्होंने हाथियों की सहायता से देवी शिला को हिलाना चाहा, परंतु जब भी हाथी उस शिला को खींचते तो वे दर्द से चिंघाड़ने लगते।
बाहु किले के भीतर इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1822 से बताई जाती है। मंदिर के भीतर स्थापित शिला आदि कालीन है, लेकिन इस मंदिर का निर्माण महाराजा गुलाब सिंह के समय का बताया जाता है। मंदिर उत्तरोतर विकास की ओर है।
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