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प्रात: काल यानी सुबह का वक्त धर्म व विज्ञान दोनों ने ही संयम व अनुशासन से जुड़ी बहुत सी बातों को अपनाकर जीवन में सफलता के हर मकसद को पूरा करने के लिए श्रेष्ठ माना है। सुबह ऐसी सुखद व ऊर्जावान घड़ी होती है, जो शरीर को ही नहीं बल्कि मन, विचारों को हमेशा जागने व उठकर चलने की ही प्रेरणा देती है। इस संदेश के साथ कि शुरुआत बेहतर होगी तो बेहतर अंज़ाम व नतीजे भी तय है।
हिन्दू धर्मशास्त्रों में सुबह के इसी ही सुकून भरे वक्त में जीवन को साधने के लिए ही स्नान का बड़ा महत्व बताया गया है। यहां तक कि रोग या किसी लाचारी में भी अनेक विकल्पों के साथ स्नान करना तन ही नहीं मन के कलह रूपी ताप को भी कम करने वाला बताया गया है।
पुराणों में लिखा गया है कि श्रीहरि विष्णु के आदेश से सूर्योदय से अगले 6 दंड यानी लगभग ढाई घंटे की शुभ घड़ी तक जल में सारे देवता व तीर्थ वास करते हैं। इसलिए सुबह तीर्थ स्नान से सभी पापों का नाश व उनसे रक्षा भी होती है। खासतौर पर मकर संक्रांति की सुबह धार्मिक कार्य नहाए बिना दोषपूर्ण ही माने गए हैं।
सुबह स्नान की अहमियत पर शास्त्रों की बातों पर गौर करें तो स्नान से जुड़े 10 अहम फायदे भी बताए गए हैं, जिनका संबंध पूरे जीवन से है।
गुणा दश स्नान परस्य साधो रूपञ्च तेजश्च बलं च शौचम्।
आयुष्यमारोग्यमलोलुपत्वं दु:स्वप्रनाशश्च यशश्च मेधा:।।
सरल शब्दों में मतलब है कि सुबह स्नान करने से 10 गुण प्राप्त होते हैं। इनमें पहला है – रूप यानी सौंदर्य या खूबसूरती। बाकी 9 फायदे इस तरह हैं –
– शारीरिक बल या शक्ति
– तेज यानी चैतन्यता, ज्ञान, ऊर्जा,
– मानसिक बल
– पवित्रता – मन, विचार, कर्म में पावनता।
– स्वास्थ्य
– बुद्धि और विवेक – सही और गलत में फर्क की समझ व निर्णय क्षमता।
– बुरे सपनों से छुटकारा
– निर्लोभता या लालसा से मुक्ति
– यश।
सार यही है कि शुभ घड़ियों या हर रोज भी स्नान से तन निरोगी होने के साथ-साथ मन-मस्तिष्क भी ऊर्जावान और तनावमुक्त रहता है। इससे न केवल इंसान की उम्र बढ़ती है, बल्कि इससे बढ़ा मनोबल व पैदा हुए अच्छे विचार सफल और यशस्वी बनाने वाले साबित होते हैं।
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