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आज कल देश में हर तरफ दुराचार का माहौल है. अगर इस माहौल को खत्म करना है तो हमें आध्यात्म की तरफ मुड़ना होगा. इसी लिए मैं यह एक ब्लॉग हनुमान जी के जन्म के विषय में दे रहा हूं.
भगवान शंकर के हनुमान अवतार की पूजा पुरातन काल से ही शक्ति के प्रतीक के रूप में की जा रही है। हनुमान के जन्म के संबंध में धर्मग्रंथों में कई कथाएं प्रचलित हैं।
उसी के अनुसार-
भगवान विष्णु के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया। सप्तऋषियों ने उस वीर्य को कुछ पत्तों में संग्रहित कर वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के गर्भ में स्थापित कर दिया, जिससे अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्री हनुमानजी उत्पन्न हुए। हनुमान जी सब विद्याओं का अध्ययन कर पत्नी वियोग से व्याकुल रहने वाले सुग्रीव के मंत्री बन गए। उन्होंने पत्नीहरण से खिन्न व भटकते रामचंद्रजी की सुग्रीव से मित्रता कराई।
सीता की खोज में समुद्र को पार कर लंका गए और वहां उन्होंने अद्भुत पराक्रम दिखाए। हनुमान ने राम-रावण युद्ध ने भी अपना पराक्रम दिखाया और संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण के प्राण बचाए। अहिरावण को मारकर लक्ष्मण व राम को बंधन से मुक्त कराया। इस प्रकार हनुमान अवतार लेकर भगवान शिव ने अपने परम भक्त श्रीराम की सहायता की।
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