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Shani Dev ji ki Aarti : शनि व्रत और पूजन विधि

Religious Mantra, Festivals, Vrat katha, Poojan Vidhi
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Shani Dev ji ki Aarti,शनि देव जी की आरती. Arti shree Shanivar maharaj ki

शनि पीड़ा या कुण्डली में शनि की महादशा, साढ़े साती या ढैय्या में शनि के अशुभ प्रभावों से बचाव के लिए शनि व्रत रखने का भी बहुत महत्व बताया गया है। चूंकि हर धार्मिक कर्म का शुभ फल तभी मिलता है, जब उसका पालन विधिवत किया जाए। इसी कड़ी में जानिए शनि भक्ति के लिए स्नान, पूजा, दान और आहार कैसा हो?

स्नान –

शनि उपासना के लिए सबेरे शरीर पर हल्का तेल लगाएं। बाद में शुद्ध जल में पवित्र नदी का जल, काले तिल और सौंफ मिलाकर स्नान करें।

शनि पूजा –

शनिदेव को गंगाजल से स्नान कराएं। तिल या सरसों का तेल, काले तिल, काली उड़द, काला वस्त्र, काले या नीले फूल के साथ तेल से बने व्यंजन का नैवेद्य चढ़ाएं। ‘ऊँ शं शनिश्चराय नम: इस मंत्र का कम से कम 108 बार जप करें।

दान – शनि व्रत में शनि की पूजा के साथ दान भी जरूरी है। शनि के कोप की शांति के लिए शास्त्रों में बताई गई शनि की इन वस्तुओं का दान करें। उड़द, तेल, तिल, नीलम रत्न, काली गाय, भैंस, काला कम्बल या कपड़ा, लोहा या इससे बनी वस्तुएं और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को दान करना चाहिए।

खान-पान – शनि की अनुकूलता के लिए रखे गए व्रत में यथासंभव उपवास रखें या एक समय भोजन का संकल्प लें। इस दिन शुद्ध और पवित्र विचार और व्यवहार बहुत जरूरी है। आहार में दूध, लस्सी और फलों का रस लेवें। अगर व्रत न रख सकें तो काले उड़द की खिचड़ी में काला नमक मिलाकर या काले उड़द का हलवा खा सकते हैं।

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