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गणेश जी की आरती: देवों के देव गणपति (GANESHJI KI AARTI)

Religious Mantra, Festivals, Vrat katha, Poojan Vidhi
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GANESHJI KI AARTI

गणेश जी को प्रथम पूज्यनीय माना जाता है. आज सोमवार का दिन है. आज का दिन गणेशजी के पिता महादेव शिव का दिन माना जाता है. तो चलिएं आज महादेव भोले के दिन उनके बेटे गणेश जी के संदर्भ में एक विशेष आरती का पाठ करें और उनके चरणों में अपने भक्ति पुष्प अर्पण करें.

गणेश जी की आरती : GANESHJI KI AARTI

सेवा मंगल मेवा सेवा से सब विध्न टरें |

तीन लोक तैंतीस देवता द्वार खड़े सब अर्ज करे ||


ऋद्धि-सिद्धि दक्षिण वाम विरजे आनन्द सौं चंवर दुरें |

धूप दीप और लिए आरती भक्त खड़े जयकार करें ||


गुड़ के मोदक भोग लगत है मूषक वाहन चढ़े सरें |

सौम्य सेवा गणपति की विध्न भागजा दूर परें ||


भादों मास शुक्ल चतुर्थी दोपारा भर पूर परें |

लियो जन्म गणपति प्रभु ने दुर्गा मन आनन्द भरें ||


श्री शंकर के आनन्द उपज्यो, नाम सुमरयां सब विध्न टरें |

आन विधाता बैठे आसन इन्द्र अप्सरा नृत्य करें ||


देखि वेद ब्रह्माजी जाको विध्न विनाशन रूप अनूप करें

पग खम्बा सा उदर पुष्ट है चन्द्रमा हास्य करें |


दे श्राप चन्द्र्देव को कलाहीन तत्काल करें ||

चौदह लोक में फिरें गणपति तीन लोक में राज करें

उठ प्रभात जो आरती गावे ताके सिर यश छत्र फिरें |

गणपति जी की पूजा पहले करनी काम सभी निर्विध्न करें |

श्री गणपति जी की हाथ जोड़कर स्तुति करें ||



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