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यमराज की पूजन विधि व शुभ मुहूर्त

Religious Mantra, Festivals, Vrat katha, Poojan Vidhi
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Blogyamdootकार्तिक मास के कृष्ण चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी, यम चतुर्दशी व रूप चतुर्दशी भी कहते हैं। इस बार यह 25 अक्टूबर, मंगलवार को है। इस दिन यमराज की पूजा व व्रत का विधान है।

पूजन विधि विधान

इस दिन शरीर पर तिल के तेल की मालिश करके सूर्योदय के पूर्व स्नान करने का विधान है। स्नान के दौरान अपामार्ग (एक प्रकार का पौधा) को शरीर पर स्पर्श करना चाहिए। अपामार्ग को निम्न मंत्र पढ़कर मस्तक पर घुमाना चाहिए-

सितालोष्ठसमायुक्तं सकण्टकदलान्वितम्।

हर पापमपामार्ग भ्राम्यमाण: पुन: पुन:।।

स्नान करने के बाद शुद्ध वस्त्र पहनकर, तिलक लगाकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके निम्न मंत्रों से प्रत्येक नाम से तिलयुक्त तीन-तीन जलांजलि देनी चाहिए। यह यम-तर्पण कहलाता है। इससे वर्ष भर के पाप नष्ट हो जाते हैं-

ऊँ यमाय नम:, ऊँ धर्मराजाय नम:, ऊँ मृत्यवे नम:, ऊँ अन्तकाय नम:, ऊँ वैवस्वताय नम:, ऊँ कालाय नम:, ऊँ सर्वभूतक्षयाय नम:, ऊँ औदुम्बराय नम:, ऊँ दध्राय नम:, ऊँ नीलाय नम:, ऊँ परमेष्ठिने नम:, ऊँ वृकोदराय नम:, ऊँ चित्राय नम:, ऊँ चित्रगुप्ताय नम:।

इस प्रकार तर्पण कर्म सभी पुरुषों को करना चाहिए, चाहे उनके माता-पिता गुजर चुके हों या जीवित हों। फिर देवताओं का पूजन करके सायंकाल यमराज को दीपदान करने का विधान है।

दीपक जलाने का कार्य त्रयोदशी से शुरू करके अमावस्या तक करना चाहिए। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने का भी विधान बताया गया है क्योंकि इसी दिन उन्होंने नरकासुर का वध किया था। इस दिन जो भी व्यक्ति विधिपूर्वक भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करता है, उसके मन के सारे पाप दूर हो जाते हैं और अंत में उसे बैकुंठ में जगह मिलती है।

शुभ मुहूर्त



यमराज का पूजन प्रदोषकाल यानी शाम के समय करने का विधान है। शाम 5 बजकर 51 मिनट से 7 बजकर 3 मिनट तक का मुहूर्त यमराज की पूजा व यम तर्पण के लिए श्रेष्ट है।

साभार: दैनिक भास्कर


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