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गायत्री मंत्र: हिन्दी और संस्कृत अर्थ सहित

Religious Mantra, Festivals, Vrat katha, Poojan Vidhi
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ॐ भूर्भुव स्वः

तत् सवितुर्वरेण्यं

भर्गो देवस्य धीमहि

धियो यो नः प्रचोदयात


गायत्री मंत्र से आप भली  भांती परिचित होंगे. यह मंत्र हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण मंत्र है, जिसकी महत्ता ॐ के बराबर मानी जाती है. यह यजुर्वेद के मंत्र ॐ भूर्भुवः स्वः और ऋग्वेद के छंद 3.62.10 के मेल से बना है.इस मंत्र में सवित्र देव की उपासना है, इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इसके उच्चारण और इसे समझने से ईश्वर की प्राप्ति होती है.


शाब्दिक अर्थ

: सर्वरक्षक परमात्मा

भू: : प्राणों से प्यारा

भुव: : दुख विनाशक

स्व: : सुखस्वरूप है

तत् : उस

सवितु: : उत्पादक, प्रकाशक, प्रेरक

वरेण्य : वरने योग्य

भुर्ग: : शुद्ध विज्ञान स्वरूप का

देवस्य : देव के

धीमहि : हम ध्यान करें

धियो : बुद्धियों को

य: : जो

न: : हमारी

प्रचोदयात : शुभ कार्यों में प्रेरित करें


भावार्थ : उस सर्वरक्षक प्राणों से प्यारे, दु:खनाशक, सुखस्वरूप श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अंतरात्मा में धारण करें… तथा वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग की ओर प्रेरित करें…


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